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आदरनीय पाठक एवं लेखक समुदाय मै इस मंच मार्ग का नया राही हूँ. अभी इस मार्ग के सहचारी यात्रियों से परिचित नहीं हूँ. लेकिन मुझे इतना पश्चात्ताप एवं आश्चर्य हो रहा है की मै ऐसे आलोकित मार्ग से दूर क्यों रहा? कारण यह है की इस राह पर पहला क़दम रखते ही मुझे जो लेख पढ़ने को मिला उसे देख कर मै भौंचक्का रह गया. साहित्य में समाज की वास्तविक छबि को सटीक शब्दों में पिरोकर उसे लिपि बढ करना, —— मै तो सोच भी नहीं सकता हूँ. सबसे बड़ी बात यह है की लेखनी की सशक्त आवाज——-ऐसे विद्वान् लोग इस मंच की शोभा बढ़ा रहे है. जी हाँ, एक लेख यदि भाग्य शाली है तो आप भी अवश्य पढ़ें——ब्लॉग का नाम शायद समाज सुधार या कुचक्र कुछ ऐसा ही है. पंडित आर. के. राय द्वारा लिखित. मै इस तरह तो नहीं लिख सकता. शायद इसीलिए मेरा हौसला पस्त हो रहा है. यदि इतने उच्च स्तर के विद्वान ही इस मंच के लेखक है, फिर तो मेरा सामंजस्य यहाँ बहुत कठिन है. इसी लिए मै केवल अभी विविध ब्लॉग पढूंगा. फिर तय करूंगा की लिखूं या नहीं. इतना उच्च स्तरीय साहित्यिक प्रस्तुति करण तथा पैनी निगाह जो गहराई में अँधेरे तक भी स्पष्ट देख सके, मेरे पास नहीं है. फिलहाल तो इतना ही. प्रकाश
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