आगे————— मेढक मर गया. लडके अपने अपने घर चले गये. मेढक का मृत शरीर वही पडा रहा. कुछ दिनों बाद उसमें से सडांध आने लगी. लोगो का उधर से आना जाना दूभर हो गया. उधर उसके पुराने साथी उसे ढूंढ रहे थे कि आखिर वह बेवकूफ साथी कहाँ चला गया? उन्हें यह मालूम था कि वह निर्बुद्धि एवं निरा ढपोर शंख है. वह दिखावे एवं एवं चापलूसी एवं चमचा गिरी में ज्यादा विश्वास रखता है. कही ऐसा न हो कि उसे किसी चतुर प्राणी ने किसी मुसीबत में फँसा दिया हो. कारण यह है कि जो व्यक्ति बेवकूफों क़ी वाह वाही से अपने आप को आम से ख़ास समझने लगता है वह न आम रह जाता है और न ख़ास. तथा वह मारा मारा फिरता है. तथा उसे घुट घुट कर एवं तड़फ तड़फ कर मरना पड़ता है. किन्तु उन्हें एक ही चिंता थी कि चाहे कितना भी बेवकूफ क्यों न हो था तों हमारा साथी ही. भले उसके विचार ओछे हो. भले ही वह दुर्बुद्धि हो. था तों अपनी ही विरादरी का. कभी तों उसे बुद्धि आती. कभी तों उसे सीख मिलती. यही सब सोच रहे थे. इधर उसके नए साथी भी उसे नाले के इस कोने से उस कोने तक ढूँढते रहे. बहुत खोजा. किन्तु वह तों मर चुका था. कुछ दिन बाद उन्हें भी कुछ अजीब दुर्गन्ध का अहसास हुआ. यद्यपि वे सब उससे भी उग्र एवं भयंकर बदबूदार नाले में रहते थे. किन्तु यह बदबू कुछ अलग किस्म का था. अब लगे सब उसका खोज करने. किसी तरह कूद फांद करते उन्हें यह पता चल गया कि वह मर चुका है. तथा उसी क़ी सड़ी लाश से बदबू आ रही है. इन लोगो ने सोचा कि यह तों बड़ा बुरा हुआ. इसकी सड़ी लाश जब तक यहाँ रहेगी, यह भयंकर दुर्गन्ध आती रहेगी. सबने मिल कर सोचना शुरू किया कि आखीर इस लास को कैसे और कहाँ फेंका जाय? अंत में सब ने मिल कर विचार किया कि इसे खेतों में फेंक दिया जाय. वहां पर जब इसकी बदबू फैलेगी तों जिसे बुरा लगेगा वह अपने आप इसे ठिकाने लगाएगा. तथा कम से कम हम तों बदबू से बच जायेगें. जिसे बदबू से परेशानी होगी वह भुगतेगा. यही सोच कर सब ने मिल कर रात में नाले से निकलने का विचार किया. रात हुई. सब छोटे बड़े मेढक नाले से बाहर निकले. तथा उस मेढक क़ी सड़ी लाश को खींच कर खेतो क़ी तरफ ले चले. जब वहां पर खेत वाले मेढ़को ने देखा तों उन्हें मना किया. उन्होंने बताया कि इसे किसी गड्ढे में ड़ाल कर ऊपर से मिट्टी ड़ाल दो. ताकि बदबू नहीं आयेगी. इन नाले वाले मेढ़को ने कहा कि जिसे बदबू से परेशानी होगी वह इसे मिट्टी में दबा देगा. हमें बदबू लगा , हमने इसे लाकर यहाँ पटक दिया है. अब अगर तुमको बदबू परेशान करती है तों तुम सब इसे अन्यत्र फेंक दो. खेत वाले मेढक चुप रह गये. तथा जग वे नाले वाले मेढक उसे वहां फेंक कर चले गये. तों इन खेत वालो ने उसे एक गड्ढे में ड़ाल कर दबा दिया. इधर जब वे मेंढक वापस नाले क़ी तरफ वापस लौट रहे थे. तों एक सर्प ने इन सबको जाते हुए देख लिया. उसने इन सबका पीछा किया. ये शीघ्रता से कूदते फांदते अपने उसी गंदे नाले में पौंचे. किन्तु सांप ने तों उनका निवास स्थान देख लिया था. वह आपस लौटा. अपने पूरे कुनबे के साथ उस नाले पर पहुंचा. तथा उस नाले में घुस कर उस मेढक मंडली का सफाया कर दिया. पश्चात्ताप इस बात का है. कि उसने और ऐसे नाले नहीं ढूंढें. नहीं तों वह रंगीला मेढक तों परलोक चला ही गया. उसकी भाई बन्द भी ठिकाने लग गये होते.
‘इति श्री गदहा पुराणे श्री मेढक राज उपाख्याने द्वितीयो अध्यायः.
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